सफलता की कहानी -गोपाल पवार
सफलता की कहानी -गोपाल पवार
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कृषक का नाम:- गोपाल पवार
पिता:- श्री हरजी पवार
ग्राम:- बाग
वि.खण्ड/जिला:- बाग/धार
कुल रकबा:- 2.32 हेक्टेयर
सिंचित/असिंचित:- सिंचित

1. पूर्व की स्थिति :- मैं गोपाल पिता श्री हरजी पवार ग्राम बाग का निवासी हॅू। मेरे यहां पर खरीफ फसलों में मक्का, सोयाबीन, कपास फसलों की खेती की जाती है। आत्मा एवं कृषि विभाग के सम्पर्क में आने से पहले इन फसलों की उन्नत तकनीकी की जानकारी कम थी एवं पुराने पारम्परीक तरीकों से खेती करता आ रहा था। जिससे मुझे प्रति एकड़ उत्पादन कम मिलता था लागत अधिक आती थी।
2. आत्मा अन्तर्गत किस गतिविधि में भाग लेने के कारण एवं कैसे स्थिति में सुधार आया :- मैंने बाग में आयोजित सोयाबीन फार्म फिल्ड स्कूल तथा कृषक भ्रमण में भाग लिया था। जहाॅ हमें सोयाबीन, मक्का फसलों में बीज उपचार, नई किस्म, बोने का सही समय तथा खतपतवार नियंत्रण के बारे में बजाया। जिसका उपयोग मैने खेत में किया तथा मक्का सोयाबीन फसल को बाने के लिए सही तकनीक का उपयोग किया। बोने से पूर्व सोयाबीन को फफुंदीनाशक एवं राइजोबीयम कल्चर से तथा मक्का को एजेडोबेक्टर से उपचारित किया गया एवं प्रमाणित बीज का उपयोग किया गया, मंहगे कीटनाशकों की जगह नीम तेल एवं सामान्य कीटनाशकों की संतुलित मात्रा का प्रयोग किया गया।
3. क्या सुधार आया जिसे आप सफलता मानते है एवं जिसका अनुसरण अन्य कृषक को भी करने चाहिएः- मैनें 2 बीघा में मक्का लगाया जिसमें मुझे 11 कि.ग्रा. बीज लगा। इसमें मैने पौधे से पौधे की दूरी 6 इंच तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 फीट रखी तथा आवष्यकतानुसार नई तकनीकों का उपयोग किया। जिससे मुझे 2 बीघा जमीन से 40 क्विंटल मक्का का उत्पादन हुआ। इसी प्रकार मैंने सोयाबीन की जे.एस.-9305 किस्म मेरे खेत में एक एकड़ में लगाई तथा पिछले वर्षों की तुलना में मैने दुगुना उत्पादन लिया।