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Strawberry (स्ट्रॉबेरी)

Basic Info

Strawberry (स्ट्रॉबेरी) की उन्नत खेती और ऑर्गेनिक खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
स्ट्रॉबेरी एक बहुत ही नाज़ुक फल होता है। जिसको विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु में उगाया जा सकता है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल दे सकता है। जो की स्वाद में हल्का खट्टा और हल्का मीठा होता है। दिखने में दिल के आकर का होता है। और इसका रंग चटक लाल होता है। स्ट्रॉबेरी के फल बडे लुभावने, रसीले एवं पौष्टिक होते हैं| स्ट्रॉबेरी अपने रंग रूप और स्वाद के लिए पूरी दुनिया के पसंदीदा फलो में से एक है। जो की ठन्डे क्षेत्रो में की जाने वाली एक खास फसल है। जो की अब देश के बिहार,पंजाब, और मध्यप्रदेश में भी की जा रही है।

Seed Specification

स्ट्राबेरी की किस्में
आपको जानकर आश्चर्य होगा की स्ट्रॉबेरी की 600 किस्में इस संसार में मौजूद है। ये सभी अपने स्वाद रंग रूप में एक दूसरे से भिन्न होती है। स्ट्रॉबेरी में अपनी एक अलग ही खुशबू के लिए पहचानी जाती है। स्ट्राबेरी की बहुत सी किस्में उगाई जाती हैं। परन्तु मुख्यत: निम्नलिखित किस्मों का उत्पादन हरियाणा में किया जाता है।
कैमारोजा - यह एक कैलीफोर्निया में विकसित की गई किस्म है व थोड़े दिन में फल देने वाली किस्म है। इसका फल बहुत बड़ा व मजबूत होता है। इस फल की महक अच्छी होती है। यह किस्म लंबे समय तक फल देती है व वायरस रोधक है।
ओसो ग्रैन्ड - यह भी एक कैलीफोर्निया में विकसित किस्म है। जो छोटे दिनों में फल देती है। इसका फल बड़ा होता है तथा खाने व उत्पाद बनाने के लिए अच्छा होता है। परंतु इसके फल में फटने की समस्या देखी जा सकती है। यह किस्म काफी मात्रा में रनर पैदा कर सकती है।
ओफरा - यह किस्म इजराईल में विकसित की गई है। यह एक अगेती किस्म है और इसका फल उत्पादन जल्दी आरंभ हो जाता है।
चैंडलर - यह कैलीफोर्निया में विकसित किस्म है। इसका उत्पादन विभिन्न स्थितियों में किया जा सकता है। इसका फल आकर्षक होता है। परंतु इसकी त्वचा नाजुक होती है।
स्वीट चार्ली - इस किस्म के पौधे जल्दी फल देते हैं। इसका फल मीठा होता है। पौधे में कई फफूंद रोगों की रोधक शक्ति होती है।

पौधे लगाने का समय
पौधों की रोपाई 10 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक की जानी चाहिए। रोपाई के समय अधिक तापमान होने पर पौधों को कुछ समय बाद अर्थात् 20 सितम्बर तक शुरू किया जा सकता है।

स्ट्रॉबेरी की पौध लगाना
इसके पौधे ऊपर उठी क्यारियों में लगाए जाते हैं। इन क्यारियों की चौड़ाई 105-110 सै.मी. व ऊँचाई लगभग 25 से.मी. रखी जाती है। दो क्यारियों के बीच में 55 सै.मी. का अन्तर रखा जाता है। क्यारियों में पौधों को चार पंक्तियों के बीच में 25 सै.मी. की दूरी व पौधे की आपसी दूरी 25-30 सै.मी. रखना आवश्यक है। पौधों की रोपाई दिन के ठंडे समय में की जानी चाहिए।

Land Preparation & Soil Health

स्ट्रॉबेरी के लिए मिट्टी का चयन 
अच्छी उपज लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए  ph 5.0 से 6.5 तक मान वाली मिट्टी भी उपयुक्त होती है।

जलवायु
यह फसल शीतोष्ण जलवायु वाली फसल है जिसके लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है। तापमान बढ़ने पर पौधों में नुकसान होता है और उपज प्रभावित हो जाती है।

खेत की तैयारी
सितम्बर के प्रथम सप्ताह में खेत की 3 बार अच्छी जुताई कर ले फिर उसमे एक हेक्टेयर जमीन में 75 टन अच्छी सड़ी हुई खाद् अच्छे से बिखेर कर मिटटी में मिला दे। साथ में पोटाश और फास्फोरस भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेत तैयार करते समय मिला दे।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद् और उर्वरक
स्ट्रॉबेरी का पौधा काफी नाज़ुक होता है। इसलिए उसे समय समय खाद् और उर्वरक देना ज़रुरी होता है। जो की आपके खेत के मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट को देखकर दे। मल्चिंग होने के बाद तरल खाद् टपक सिंचाई के जरिये दे। जिसमे नाइट्रोजन फास्फोरस p2o5 और पोटाश k2o को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह ले कर समय समय पर देते रहें।

स्ट्रॉबेरी में लगने वाले कीट और रोग
कीटों में पतंगे, मक्खियाँ चेफर, स्ट्राबेरी जड़ विविल्स झरबेरी एक प्रकार का कीड़ा, रस भृग, स्ट्रॉबेरी मुकट कीट कण जैसे कीट इसको नुकसान पंहुचा सकते है। इसके लिए नीम की खल पौधों की जड़ों में डाले इसके अलावा पत्तों पर पत्ती स्पाट, ख़स्ता फफूंदी, पत्ता ब्लाइट से प्रभावित हो सकती है। इसके लिए समय समय पर पोधों के रोगों की पहचान कर वैज्ञानिकों की सलाह में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करे।

Weeding & Irrigation

लो टनल का उपयोग
पौधों को पाले से बचाने के लिए ऊपर उठी क्यारियों पर पॉलीथीन की पारदर्शी चद्दर जिसकी मोटाई 100-200 माइक्रोन हो, ढकना आवश्यक है। चद्दर को क्यारियों से ऊपर रखने के लिए बांस की डंडियां या लोहे की तार से बने हुप्स का उपयोग करना चाहिए। ढकने का कार्य सूर्यास्त से पहले कर दें व सूर्योदय उपरांत इस पॉलीथीन की चद्दर से हटा दें।

सिंचाई
पौधे लगाने के बाद तुरंत सिंचाई की जाना चाहिए, समय समय पर नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई करना चाहिए, स्ट्रॉबेरी में फल आने से पहले सूक्ष्म फव्वारे से सिंचाई कर सकते है फल आने के बाद टपक विधि से ही सिंचाई करे।

Harvesting & Storage

स्ट्रॉबेरी की तुड़वाई
जब फल का रंग 70 प्रतिशत असली हो जाये तो तोड़ लेना चाहिए। अगर बाज़ार दूरी पर है, तो थोड़ा सख्त ही तोडना चाहिए। तुड़वाई अलग अलग दिनों में करनी चाहिए। स्ट्रॉबेर्री के फल को नहीं पकड़ना चाहिए। ऊपर से दण्डी पकड़ना चाहिए। औसत फल सात से बारह टन प्रति हेक्टयेर निकलता है।

पैकिंग
स्ट्रॉबेरी की पैकिंग प्लास्टिक की प्लेटों में करनी चाहिए। इसको हवादार जगह पर रखना चाहिए। जहां तापमान पांच डिग्री हो। एक दिन के बाद तापमान जीरो डिग्री होना चाहिए।

शासन की तरफ से अनुदान
अलग अलग राज्यों में उद्यानिकी और कृषि विभाग की तरफ से अनुदान भी है। जिसमे प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप इरीगेशन फुवारा सिंचाई आदि यंत्र पर 40 से 50% तक अनुदान भी मिल जाता है।


Crop Related Disease

Description:
स्ट्रॉबेरी का पत्ता स्पॉट एक आम कवक पत्ती रोग है जो दुनिया भर में जंगली और खेती की गई स्ट्रॉबेरी दोनों को प्रभावित करता है। आम पत्ता का स्थान एक समय में आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण स्ट्रॉबेरी रोग था, लेकिन प्रतिरोधी स्ट्रॉबेरी किस्मों / कलियों का उपयोग और स्ट्रॉबेरी उगाने के तरीकों में सुधार बीमारी के प्रबंधन और इसके प्रभाव को कम करने में प्रभावी रहा है। आज, रोग अक्सर एक कॉस्मेटिक समस्या है और आमतौर पर उपज या फल की गुणवत्ता पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
Organic Solution:
डीप बरी, बर्न (जहां स्थानीय अध्यादेश द्वारा अनुमति दी गई है) या इस सामग्री का गर्म खाद (hot कम्पोस्ट) करे |
Chemical Solution:
यदि बीमारी का जल्द पता चल जाता है, तो फंगिसाइड के उपयोग से इसका विकास धीमा हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि आम पत्ती वाला स्थान अक्सर एक कॉस्मेटिक मुद्दा होता है और कवकनाशी का उपयोग वारंट नहीं किया जा सकता है। यदि आप यह तय करते हैं कि फफूंदनाशक उपचार की आवश्यकता है, तो एक ऐसे उत्पाद का चयन करें जो स्ट्रॉबेरी पर उपयोग के लिए लेबल किया गया हो और जिसमें कैप्टान, मायक्लोबुटानिल या तांबा सक्रिय तत्व के रूप में हो। फूल लगाने से पहले तांबे युक्त फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।

Strawberry (स्ट्रॉबेरी) Crop Types

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Frequently Asked Questions

Q1: स्ट्रॉबेरी का पौधा कितने समय तक रह सकता है?

Ans:

आप जानते है स्ट्रॉबेरी का जीवन चाप एक नए पौधे की स्थापना के साथ शुरू होता है, दो से तीन साल बाद चोटियों पर आता है, और फिर अपने चरम के बाद दो से तीन साल की उम्र में मृत्यु और मृत्यु की ओर बढ़ता है। आदर्श परिस्थितियों में, स्ट्रॉबेरी का पौधा 5-6 साल तक जीवित रह सकता है।

Q3: स्ट्रॉबेरी ज्यादातर कहाँ उगाई जाती है?

Ans:

आप जानते है स्ट्रॉबेरी की खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में की जाती है। जम्मू में उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी सिंचित स्थिति में फसल उगाने की क्षमता है। फसल के क्षेत्रफल और उत्पादन का अनुमान उपलब्ध नहीं है।

Q2: स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और भूमि किस प्रकार की होनी चाहिए?

Ans:

स्ट्राबेरी का उत्पादन भिन्न प्रकार की जलवायु में किया जा सकता है। इसके फूलों और नाजुक फलों को पाले से बचाना जरुरी है। विभिन्न प्रकार की भूमि में स्ट्रॉबेरी को लगाया जा सकता है ,लेकिन रेतीली दोमट भूमि इसके लिए सर्वोत्तम है। भूमि में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।

Q4: क्या स्ट्रॉबेरी की खेती करना मुश्किल है?

Ans:

आप जानते है स्ट्रॉबेरी को विकसित करने के लिए मुश्किल होने की प्रतिष्ठा है, विशेष रूप से संगठित रूप से, हालांकि यह केवल सच है अगर आपको ट्रिक नहीं पता है। उनकी सुंदरता यह है कि वे बारहमासी हैं: उन्हें एक बार रोपण करें, और वे साल-दर-साल कम से कम कुछ वर्षों के लिए उत्पादन करते हैं, वैसे भी।